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Day 41 – संपूर्ण उत्तर काशी में फैला माताजी का शूक्ष्म रूप

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माताजी हमसे और कयी विशयों के बारे में बतायें।उन्होंने कहा कि – “मौन का अर्थ आंतरांगिक मौन होता है,उस स्थिति में रहने से आप गुरू के दिये गये शक्ति को १००% पा सकते हैं।आप सभी गुरु के अनुग्रह और शक्ति को संपूर्ण से प्राप्त करें यही, मेरी आकांक्षा है।आंतरांगिक मौन में शिष्य गुरू के वाचक बिना, गुरुके स्थिति का अनुभव कर सकते हैं। वैसे ही मौन से ही गुरु के दिये हर संदेश का अनुग्रह कर सकते हैं। उत्तर काशी में जब हम शिवालय गये,भगवान शिवजी में से अत्यंत रुद्र शक्ति मुझमें भर गयी।उसका पूरे उत्तर काशी में विस्तार हुआ। भोले नाथ के तांडव नृत्य पर जितना शक्ति प्रकंपन्न होता है, उतना शक्ति मुझमें भर गया। महाशिवजी का मेरे शरीर में तांडव करने का भाव, मुझे होने लगा। उसके बाद हम हरसिल केलिए निकल पडे।वहाँ पहुंचने के बाद मैंने आप सब को संदेश भेजा और काटेज के खिडकी से बाहर देख रही थी। माताजी ने प्रवाह में देव गणो को देखा
।उन्को आदरणीय महावतार बाबाजी अपने ४९शिष्यों के साथ दिखाई दिये। तब वे मुझे गौरी शंकर मठ, उनके साथ आने केलिए कहे ।

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