Welcome to the BLISSFUL journey

सुबलक्ष्मी साकिनेटि के अनुभव

0

सुब्बलक्ष्मी जी, सौभाग्यशाली थी कि माताजी के शिष्य कुमारी जी के माध्यम से सुषुम्ना क्रिया योग के बारे में जानने के कुछ दिनों के भीतर उन्होंने माताजी के दर्शन हुए और उनसे दीक्षा भी लीए।
सुषुम्ना क्रिया योग के अभ्यास के कारण उनकि थायराइड की समस्या , खुजली कि वजह से कठिनाई और कमजोरी कम होने लगा । इस प्रकार, उनका आत्मविश्वास और एकाग्रता इस ध्यान में बढ़ गया। ध्यान में उन्होंने एक सुंदर लोक (एक स्वर्गीय ग्रह) का दर्शन हुआ, जो श्वेत रंग में था, उनको वशिष्ठ महर्षि जी का भी ध्यान में दर्शन हुआ, उनके पूर्व जन्म में उनका नाम भूनिसा था, और एक जन्म में तीन बहुएँ में एक गृहिणी के रूप में एक दृष्टि दिखाई दिया और उन्हें ध्यान में ऐसे कई अनुभव हुए। उनके एक जन्म में वह एक अमीर गृहिणी थी और जब वे घर की सफाई नहीं कर पाती थी, तो निराश और घमंड होकर वे उनके हाथों में जो भी चीज होती थी वो सभी चीजों को फेंक देती थी ।हालांकि इन कारणों कि वजह से वे इस जन्म में उनके पास हाथ भरपूर बहुत पैसा होते हुए भी, उन्हें एक छोटे से घर में रहते कई कठिनाइयों का सामना करना एहसास हुआ ,इन सभी से हमें पता होना चाहिए कि हर क्षण हमें कैसे भाव में रहना चाहिए, किस तरह कि विचार प्रक्रिया हमारी होनी चाहिए यह न केवल उनके लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रत्येक सुषुम्ना क्रिया योगी के लिए महत्वपूर्ण है।
एक बार फिर ध्यान में, उन्होंने देखा कि उनके एक जन्म में उनके चाचा (पिता का छोटा भाई) एक मंदिर में पुजारी थे। शिक्षा के लिए अपने बेटे को विदेश भेजने के लिए उनका सपना उनकी दृष्टि में एक वास्तविकता में कैसे बदली , भगवान शिव की दृष्टि, पलनी में जिस शिवलिंग को उन्होंने श्रीभोगनाथ सिद्दार जी के समाधि के स्थल पर देखा, वही लिंग को भौतिक रूप में दर्शन पाना, जिस कॉलेज में उनकी बेटी सुष्मी पढ़ेंगी यह सब उन्हें पहले ही मालूम होना वे यह सब ध्यान में अनुभव करें। माताजी की कृपा से उनके बेटे को एक अच्छे कॉलेज में सीट मिलना, जब ज्योतिष कि भविष्यवाणी ने उनके बेटे का बुरा भाग्य के बारे में बताने पर ,उनके बेटे को एक बड़ा एक्सिडेंट का सामना करना पड़ा,परंतु बिना कोई खरोंच के वह बाहर आया, तब वे ध्यान का महत्व को समझ पाए। जब उन्हें भौतिक रूप में भिक्षा के लिए भगवान शिव की वास्तविक दृष्टी हुई और उनको ऊर्जा दीए वे यह विश्वास नहीं कर सके कि क्या यह सच है ?? या एक भ्रम ?? उन्होंने माताजी से उनकी दुविधा का जवाब दिया कि यह सच है और उन्हें घर से बाहर नहीं जाने के लिए सलाह दिये और उनको बताया कि वे उनके सारे परिवार के सदस्य के साथ एक-दूसरे का हाथ पकड़कर ध्यान करें। तब उन्हें समझमें आया कि वास्तव में ऊर्जा ट्रान्सफर क्या है। तस्वीरों से बहती ऊर्जा को भी उन्होंने अनुभव किया।
यदि सुब्बलक्ष्मी जी जैसी सरल गृहिणी द्वारा ऐसे अद्भुत अनुभवों का अनुभव कियें हैं, तो हम सभी सुषुम्ना क्रिया योग की विशेषता को भी आसानी से समझ सकते हैं।

Share.

Comments are closed.