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साकिनेटि सुषमी के अनुभव

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सुब्बालक्ष्मी जी की बेटी।
सुषुम्ना ध्यान योगी सुब्बालक्ष्मीजी की बेटी, सुषमी ने सुषुम्ना क्रिया योग अभ्यास तब से शुरू किया जब वह ८ वीं कक्षा में थी। उसे पढाई में बहुत शोक था और हमेशा अपनी कक्षा में प्राथमिक अंक लाने वाले छात्रों में से एक थी … वह आत्मविश्वासी और कुछ भी हासिल करने की इच्छा होती थी, जिसके लिए वो आकांक्षा करती थी। उसके १२ वीं कक्षा के बाद, उसे गुरुओं से संकेत मिलते थे कि उसे क्या पढ़ना चाहिए और कैसे उसे आगे बढ़ना चाहिए, इसकेलिए उसने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता की गहरी भावना विकसित करती थी।
जब बी.टेक की पढ़ाई में सुषमी २, ३अंकों से फेल हो गई … इससे उसके आत्मविश्वास को ठोकर लगा था। उसके बाद उसे १२ वीं कक्षा की एक घटना याद आई – एक दोस्त जिसने हस्तरेखा विज्ञान का अध्ययन किया था, ने उसे बताया था कि उसकी हथेलियों पर मौजूद रेखाओं के अनुसार, वह अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देगी। जब उसने अपनी मां सुब्बालक्ष्मीजी से इस घटना का जिक्र किया, तो उन्होंने भी पुष्टि की कि किसी ने उन्हें भी यह चेतावनी दी थी कि सुषमी की कुंडली के अनुसार, उसकी शिक्षा बीच में ही रुक जाएगी। लेकिन उसने सुषमी से अपना विश्वास न खोने और कोशिश करते रहने का भी आग्रह किया। सुषमी ने तब श्री आत्मानंदमयी माताजी के दिव्य शब्दों को याद किया – “सुषुम्ना क्रिया योग का अभ्यास करने से, हमारे कर्म जल जाते हैं और ग्रहों का प्रभाव भी कम हो जाएगा।” उनके दिव्य शब्दों के साथ उसे महसूस किया कि उसकी पढ़ाई को बंद करने के बजाय शायद उसकी परीक्षा में केवल एक बार असफलता होने से उसके कर्म कम कर दिया गया था। फिर उसने नए सिरे से अपनी पढ़ाई जारी रखी। उसके बाद वह काफी सफल हो गई … कुछ ही वर्षों में उसने अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में भी काम किया और अब एक अच्छी नौकरी के साथ भारत में बस गई है। सुषमी कहती है – “मैं जो पढ़ाई से बहुत प्यार करती हूँ, अब मैं एक संतुष्ट जीवन का नेतृत्व करने में सक्षम हूँ … और श्री आत्मानंदमयी माताजी की कृपा ही इसका एकमात्र कारण है।”
सत्संग का आयोजन उसके घर में प्रतिदिन किया जाता है … एक दिन उसके ध्यान में एक सुंदर और अद्भुत कृष्ण की मूर्ति दिखाई दिया था। मूर्ति के बगल में उसने दो सोने के चरण भी देखे। वो पैर शायद श्रीकृष्ण भगवान के होंगे … सुषमी ने सोचा। लेकिन जब उसने माताजी के साथ ऐसा ही उल्लेख किया, तो माताजी ने संकेत दिया कि वे भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी जी के चरण थे… .सुषमी यह सुनकर अभिभूत हो गई।
एक अवसर पर जब उसके पति को उनके वीसा के बारे में बताया गया, तो उन्होंने सुषमी के सुझाव पर २१ मिनट तक ध्यान किया। अगले दिन उन्हें अपने वीसा के तैयार होने की खबर मिली। सुषमी के पति जो खुश और हैरान होगये , वह भी उसी दिन से एक अच्छा ध्यानी बन गये।
सुषुम्ना क्रिया योग ध्यान द्वारा हर ‘ निर्धारित विचार ’को पूरा किया जा सकता है। सब कुछ विश्वास और गुरु की कृपा पर निर्भर होता है कहते सुषमी इनपर जोर देती है।

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