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Day 30 – गुरु सेवा कि इम्तिहान

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माताजी कि चरण सेवा करते हुए श्रृति कीर्ति जी सो गये और उनकी अंतरात्मा उनसे  कुछ ऐसा केह रही थी …”माताजी के चरण पूजा को जारी रखना” मैं बहुत देर से नजाने क्यों, पर असुविधा महसूस कर रही थी। मेरे साथ और एक क्रिया योगी, श्री लक्ष्मी जी भी माताजी के चरण सेवा कर रहे थे। मैं चरण सेवा करते-करते निद्रा में चली गई । मेरी अवस्था पर तरस खाकर श्री लक्ष्मी जी मुझसे जाकर सोने को कहा। वे भी मेरी तरह पूरा दिन पैदल चली, लेकिन वे माताजी कि सेवा करते- करते, प्रातःकाल टेन्टस में लौटे। उनको देखने के बाद मुझे लगा कि गुरू कि ओर श्रद्धा से रहने का सिर्फ भावना काफी नहीं बल्कि आचरण का पालन भी करना चाहिए।गुरू का परीक्षा मुझे महसूस हुआ। यह घटना मेरे हृदय में एक शक्तिशाली गांठ जैसा बन गया। उसी साल हिमालय यात्रा से वापस आने के बाद, हम गुरुपूजा के अवसर पर शिरडी गये । तब ऐसा ही एक अनुभव एक और क्रिया योगी स्रीदेवी जी को हुआ। माताजी कि चरण सेवा करते समय, उनका अनुभव वे बता रही थी कि, जब चरण सेवा करते वक्त, उन्हें  निद्रा आई उस समय…महावतार बाबाजी का रूप उन्हें दिखाई दिया । श्री महावतार बाबाजी तीव्र से उन्हें देखते कहे कि “गुरू कि सेवा करते समय बहुत सावधानी से  करनी चाहिए”, यह बात कहकर वे अदृश्य हो गये। उनकी यह बात सुनकर ,मुझे रीढ़ कि हड्डी में ठंडक महसूस हुई। गुरुओं से मैंने क्षमा माँगी।

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