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अनुराधा मंडालिका के अनुभव

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हर किसी को परिवार के करीबी सदस्य के अचानक निधन से बहुत दुखी,होता है। पूरा परिवार पूरी तरह से तबाह हो जाता है और एक शून्य स्थिति का अनुभव करता है;जैसे कि बादलों की धुंध से घिरे हुए हो और उनके जीवन में खुशियां फीकी पड़ गयी हो। हमने न जाने कितने बार गीता में दिव्य वाक्य सुना हो “जो व्यक्ति पैदा होता है, मृत्यु अपरिहार्य है”, लेकिन वास्तव में यह सोच अभ्यास में लाना बहुत मुश्किल है। अनुराधा का परिवार जो एक मजेदार प्रेमपूर्ण परिवार था, जब तक कि वर्ष २००७ में ,एक दुर्घटना में उसके देवर की अचानक मौत से परिवार के सभी सदस्यों को जीवन का बहुत बड़ा सदमा लगा। इस घटना ने पूरे परिवार को झकझोर करके रख दिया। उसके ससुर और सास इतने बीमार हो गए कि एक घंटे की नींद के लिए उन्हें नींद की गोलियां दीया जाता था। इन कारणों कि वजह से उनके बीपी और शुगर के स्तर में वृद्धि हो गयी। जिसके कारण वे शय्याग्रस्त हो गए । उसके पति जिनको अपने छोटे भाई के साथ बहुत ही दोस्ताना रिश्ता था, उसे खोनेपर वे अपने आधिकारिक कर्तव्यों के प्रति शिथिल हो गये। इन कारणों कि वजह से , अनुराधा कि जिम्मेदारियों ज्यादा बड़ गयीं , जिससे ,उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा, परिणामस्वरूप बीपी और थायराइड का स्तर बढ़ गया। जब परिवार के सभी सदस्य एक उदास, निराश जीवन जी रहे थे, उस समय एक गुरुजी उनके जीवन में आध्यात्मिकता के बारे में बताने आये। उन्हें पूजापाठ करने के लिए कहा, जिसके कारण वे कुछ हद तक ठीक हो रहे थे। जब भी गुरुजी अपने यत्राओं के लिए निकल पडते थे, तो परिवार को ऐसा लगता था कि जैसे कोई दुख उनका पीछा कर रहा है। छह साल में गुरुजी कि वृद्धावस्था के कारण उनका निधन हो गया। कोई भी उन्हें शांत करने के लिए नहीं बचा था, उस समय दिव्य अनुग्रह के कारण एक मित्र उनके घर आए और उन्हें सुषुम्ना क्रिया योग ध्यान सिखाया। गुरुओं की कृपा से सुषुम्ना क्रिया योग , परिवार के सभी सदस्य ध्यान केंद्रित करते हुए अरुणाचलम गुरुपूर्णिमा में माताजी को देखने के लिए एक दिव्य मौका मिला था। अनुराधा कि सास को देखकर माताजी ने उनसे कहा “आज से मुझसे वादा करिए कि आप अपने छोटे बेटे के बारे में सोचकर रोएंगी नहीं” क्या श्री आत्मानंदमयी माताजी के इन आकर्षक शब्दों ने एक उपादेश के रूप में काम किया था जो उनको बदल दिया? उसके सास जो इतने दिनों तक दिन रात कई घंटों रोती थी, उस दिन से वे दुखी होना बंद कर दीये। लगातार एक साल तक ध्यान करने से उसके परिवार के सभी सदस्य को सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगे। उसके सास और ससुर की सेहत में सुधार होने लगा , जिसके कारण बीपी , शुगर, नींद की गोलियाँ सब बंद कर दिया गया।। अनुराधा ने भी अपनी सारी दवाइयाँ बंद कर दीं। अनुराधा कहती हैं “सुषुम्ना क्रिया योग एक शास्त्रीय ध्यान प्रक्रिया है। जो हमारी आत्मा में शांति और कुल परिवर्तन लाती है,जो परिणामस्वरूप हमें हमारी वास्तविक पहचान दिलाती है। ” केवल वही नहीं बल्कि ,मेरे परिवार में होने वाले अद्भुत चमत्कारी अनुभव,मैं अपने सुषुम्ना परिवार के सदस्यों को इन घटनाओं के बारे में बताना, मेरा एकमात्र उद्देश्य है। अनुराधा के अनुभव हमें एक बार फिर से जीवन का सही अर्थ बताते हैं।

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