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दूसरा हफ्ता

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दूसरा हफ्ता

पिछले सप्ताह के नियमों को आप  कोई रुकावट के बिना करे  होंगे। उसी उत्साह के साथ दूसरा सप्ताह भी पूरा करिए।

शरीर –स्थूल शरीर को परिष्कृत करने के लिए सूर्य को प्रणाम। सूक्ष्म शरीर को परिष्कृत करने के लिए इलाइची, दालचीनी, जाम का पत्ती, अदरक, और धनिया।

मन–ओंकार ,लंबी साँसे।

आत्मा– आत्म-शक्ति और ज्ञान विकास के लिए २१ या ४ ९ मिनट का  सुषुम्ना क्रिया योग ध्यान अभ्यास।

अमरूद:

दाँतों का दर्द, बालों का झड़ना, अनिद्रा, रक्त का प्रसारण में,अमरूद की पत्ती का रस उपयोगी होता है।  यह औषधीय गुणों वाला एक पत्ता है जो त्वचा को मुलायम बनाता है।अमरूद कि पत्ति में  जल का संग्रहण करने का प्रतिशत अधिक है।


अदरक:

मांसपेशियों में दर्द को नियंत्रित करनेवाला शक्ति अदरक में है।  यात्रा में जी मचलना और सुबह में उठते ही निरुत्साहित होने वाले  समस्याओं के लिए अदरक अच्छी तरह से काम करता है।अदरक महिलाओं कि मासिक धर्म की समस्याओं के लिए दिव्य उपयोगी होता है।

ओंकार

ओंकार महामंत्र है।  ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर ओंकार कि छवि है।  जब इस प्रणव नाद को नाभि से उच्चारण किया जाता है, तब बीज रूप में नाभि में स्थित जन्मों कि वासनाएं, स्मृतियां, काम,क्रोध, लोभ,मद, मात्सर्य साधकों पर रुकावट न डालकर ,हमारे आध्यात्मिक यात्रा में वो बीज , विष वृक्ष नहीं बन जाए, इसलिए ओंकार का उच्चारण नाभि स्थान से करनी चाहिए।इस तरह ओंकार करने से,ध्यान साधन भी आसानी से होता है।सभी मंत्रों के अदिपति ओंकार है।

श्वास
श्वास मानव शरीर में स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीरों को एक सूत्र में बाँधता है।श्वास नहीं तो यह जग नहीं।दीर्घ श्वास से कयी श्वास के संबंधित रोग नष्ट हो जाते हैं।श्वास अंदर लेते समय आरोग्य, आनंद,धैर्य, विजय,और कयी सत् गुणों को अंदर लेने का भाव करने से गुरु अनुग्रह प्रसादित करते हैं। श्वास बाहर छोडते समय उन लक्षण और गुणों को छोडने का भाव करना चाहिए जिससे हमें  कष्ट होता है।

सूर्य नमस्कार

सूरज के सामने खडे होकर अपने हाथों कि उंगलियों को नमस्कार मुद्रा में अपने हृदय स्थान पर ऐसे रखें ,जैसे उंगलियों कि अंगूठी, हृदय के मध्य भाग को स्पर्श कर सके। उसके बाद दोनों हाथ निचे लाए और नमस्कार मुद्रा में जोड़कर सिर के ऊपर, बाहों को सीधा करके रखें ,फिर से आहिस्ता नमस्कार मुद्रा अपने हृदय के मध्य स्थान पर रखकर आधे मिनट तक उस स्थिति में रहें । यह सूर्य नमस्कार नौ बार करें।

 

धनिया:

इसे हम सब अपनी रसोई में उपयोग करने के लिए प्रथागत है।  इन छोटे पोषक तत्वों में कई औषधीय गुण होते हैं जिसे हम जब खाने में डाले तो खाने की रुचि बढ़ जाती है।आँखों के लालिमा की समस्या के लिए धनिया अच्छा काम करता है।

दालचीनी:

दालचीनी में औशधि गुण हैं जो  शरीर कि नाडी मंडल में ब्लाक, भोजन की आदतों के वजह से शरीर में उत्पन्न होने वाला  बुरा गंध दूर करने का लक्ष्ण उसमें होता है।  यह शरीर, मन और आत्मा के संयोग का  माध्यम है, जिससे ध्यान में जल्द ही एकीकृत हो सकते हैं। ध्यान के द्वारा मृत कोशिकाओं कि संख्या कम करके,शरीर से सुगंध उत्पन्न करवाने का कार्य कर सकता है।

 

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